hindishayarii

कैद खाने हैं बिन सलाखों के, कुछ यूं चर्चे हैं तुम्हारी आंखो के।

तेरा खयाल कागज पर  बिखरता ही रहा, इश्क उतर आया आंखो  से देखते देखते।

हम भटके हुए एक राही थे दुनिया की अंधेरी राहों मैं, जीने की तमन्ना जाग उठी देखा जो तुम्हारी आँखों मैं।

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ये जो नज़रों से तुम मेरे दिल पर वार करते हो, करते तो ज़ूल्म हो, साहिब मगर कमाल करते हो।

हमने देखा है बहुत गौर से, तेरे चेहरे पे तेरी आँखें कमाल करती हैं।

जाने क्यों डूब जाता हूँ हर बार इन्हें देख कर, इक दरिया हैं या पूरा समंदर हैं तेरी आँखें।

कभी बैठा के सामने पूछेंगे तेरी आँखों से, किसने सिखाया है इन्हें हर दिल में उतर जाना।

खुलते हैं मुझ पे राज कई इस जहान के, उसकी हसीन आँखों में जब झाँकता हूँ मैं।

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रात को बड़ी मुश्किल से  खुद को सुलाया है मैंने, अपनी आँखों को तेरे ख्वाब का लालच देकर।

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