आज तेरे लिए वक्त का इशारा है, देखता ये जहां सारा है, फिर भी तुझे रास्तों की तलाश है, आज फिर तुझे मंज़िलो ने पुकारा है

राह-ए-ज़िन्दगी में ऐसे मोड़ भी आते है, सीधे रखे कदम भी डगमगा जाते है, बहके कदमो को जो संभाल पाते है, वो मुक़म्मल इंसान कहलाते है

कूछ नही मिलता दुनिया मे मेहनत के बगैर, मेरा अपना साया भी मुझे धूप मे आने के बाद मिला

चलता रहूँगा पथ पर, चलने में माहिर बन जाऊँगा, या तो मंजिल मिल जायेगी या अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊँगा

परिंदों को मंज़िल मिलेगी यकीनन ये फैले हुए उनके पर बोलते हैं अक्सर वो लोग खामोश रहते हैं ज़माने में जिनके हुनर बोलते हैं

तकदीर के खेल से निराश नहीं होते जिंदगी में ऐसे कभी उदास नहीं होते हाथों की लकीरों पर क्यों भरोसा करते हो तकदीर उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते

बोल कर नहीं कर के दिखाऊंगा क्योकि लोग सुनना नहीं देखना पसन्द करतें है

पहाड़ की ऊंचाई आपको आगे बढ़ने से नहीं रोकती बल्कि आपके जूते में पड़े कंकड़ आपको आगे बढ़ने से रोकतें है

सपने और लक्ष्य में एक ही अंतर है सपने के लिए बिना मेहनत की नींद चाहिए और लक्ष्य के लिए बिना नींद की मेहनत

सीढ़ियां उन्हें मुबारक हों जिन्हें सिर्फ छत तक जाना है मेरी मंज़िल तो आसमान है रास्ता मुझे खुद बनाना है