गणपति है जग में सबसे निराला दुख के समय भी आपने संभाला

बना लो चाहे कितने मकान बिन गणेश कहां धन-धान

पग में फूल खिले। हर ख़ुशी आपको मिले कभी न हो दुखों का सामना यही मेरी गणेश चतुर्थी की शुभकामना

जो कोई मन से गणेश बुलाता रिद्धि सिद्धि संघ में पाता

कुछ सोच विचार भी नहीं कर पाता जो तेरा आशीर्वाद नहीं मिल पाता

दवा में भी वो असर नहीं होती जो तेरी कृपा मुझ पर ना होती

बुद्धि बल चतुरता यह सभी केवल भ्रम है मैं तो जानू यही भगवन तेरा ही कर्म है

राहों में है फूल खिले जाते मनचाहे वरदान मिल जाते धनी हो चाहे हो गरीब गणेश दरबार में मस्तक झुकाते

भोला पुत्र गणेश है गौरा के आंख का तारा बाल ग्वाल जो पुकारे हो जाते उनका प्यारा

वर्ष में एक बार है आते सुख समृद्धि सब साथ लाते फिर वह हो जाते हैं विदा अगले बरस फिर बरसाते कृपा