सोचने बैठे थे सुबह, देखते ही देखते शाम हो गयी, इश्क़ की राहें तो ऐ दोस्त यूँ ही बदनाम हो गयीं

ये जो इश्क़ होता है न... जान ले लेता है... मगर फिर भी मौत नहीं आती

सुना है इश्क़ से तेरी बहुत बनती है, एक एहसान कर उस से क़सूर पूछ मेरा

शायरी उसी के लबों पर सजती है साहेब, जिसकी आँखों में इश्क रोता हो

एक ख़लिश सी रह गयी दिल में, मुझ जैसा इश्क़ करता, मुझ से भी कोई

इश्क ने हमसे कुछ ऐसी साजिशें रची हैं, मुझमें मैं नहीं हूँ अब बस तू ही तू बसी है

आज कुछ लिखने की फ़िराक में हूँ, आज सुबह ही मुझे इश्क़ हुआ है

ना रूठना ना मनाना, ना गिला ना शिकवा कर, गर करना है तो बस इश्क़ कर, बे-इन्तहा कर

कुछ बूंदें तो गिरा प्यार की दिल जमीन पर, बड़ी आग लगी है दिल में सब कुछ लुटाकर

चर्चे... किस्से...नाराजगी आने दो, मुझको इश्क़ में और इश्क़ को मुझमें मशहूर हो जाने दो