टूटे दिल के टुकड़े गिरे कई जगह, टूटने से पहले पूछ रहा था वो क्या है मेरी खता

हुआ क्या संग मेरे क्या तुम्हे ज़रा भी मालूम नहीं सनम, अनजान बनने का दिखावा कर रही हो ज़रूर तुम इतनी तो मासूम नहीं सनम

जख्म तो आज भी ताज़ा हैं पर वो निशान चला गया मोहब्बत तो आज भी बेपनाह है पर वो इंसान चला गया

तुम हाल मत पुछा करो सीधा काम बताया करो, कोई पूछे की मेरा पता क्या है उसे बेझिझक गुमनाम बताया करो

इतनी खामोशी से दिल ने दर्द दबा रखे हैं, की आँखों को भी कानो कान खबर ना हुई

ऐ मोहोब्बत जब तू हर किसी को मिलती नहीं तो फिर हर किसी को होती ही क्यों है

तेरे बाद किसी और के हो ना सके फिर, खामखा झूठा हंसना पड़ा हमे खुलकर रो ना सके फिर

दिल दबाने से कम हो जाता अगर, तेरी ज़रुरत के बगैर ही काम हो जाता है

तू खैरियत से रह मुझे खैरात मत दे मोहोब्बत की, आदत है मुझे अंधेरो की और ग़मों की सौबत की

बर्बाद पहले से था मैं तूने थोड़ा और कर दिया, तूने भटकती तन्हाइयों को मेरी अपनी यादों का घर दिया