आज से हम बदलेंगे अंदाज़-ए-ज़िन्दगी, राब्ता सबसे होगा वास्ता किसी से नहीं

धूल हालात को हर बार चटाई मैंने, मैं मुक़द्दर तो नहीं रखता जिगर रखता हूँ

खुदा सलामत रखे उन आँखो को, जिन में हम काँटो की तरह चुभते हैं

अपनी इसी अदा पर थोडा गुरूर करता हूँ! मोहब्बत हो या नफरत भरपूर करता हूँ..!

डरते नहीं हम सबको डरा देते हैं,अच्छे-अच्छों को सबक सिखा देते हैं, हम जहाँ कहीं भी रहते हैं... अपनी दरियादिली दिखा देते हैं

बस खुद्दारी ही मेरी दौलत है जो मेरी हस्ती में रहती है, बाकी ज़िन्दगी तो फकीरी है वो अपनी मस्ती में रहती है

हम तो आईना हैं आईना ही रहेंगे, फ़िक्र वो करें... जिनके चेहरे पर कुछ और दिल में कुछ और है

अंदाज़ कुछ अलग ही मेरे सोचने का है, सब को मंजिलों का है शौक मुझे रास्ते का है

हजार ग़म मेरी फितरत को न बदल सके, क्या करूँ मुझे आदत है मुस्कराने की

मिल जाए आसानी से उसकी ख्वाहिश किसे है, जिद तो उसकी है जो मुक़द्दर में नहीं है