तुम्हारा गुस्सा भी इतना प्यारा है कि दिल करता है तुम्हे दिन भर तंग करते रहे

आपके प्यार की कद्र कोई पराया भी करेगा , लेकिन आपके गुस्से की कद्र केवल अपने ही करेंगे

ग़ुस्सा तुम पर तो ख़ूब आता है क्या करें दिल है मान जाता है

कोरे कागज पर तेरी , इक तस्वीर बनाई है , मैने गुस्से में आकर उसमें , आग लगाई है

नम आँखों में क्या कर लेगा ग़ुस्सा देखेंगे ओस के ऊपर चिंगारी का लहजा देखेंगे

गुस्सा तो बहुत है, मुझे यूँ छोड़ के जाने का, उम्मीद भी उतनी है, फ़िर से लौट कर आने की

कहीं का ग़ुस्सा कहीं की घुटन उतारते हैं ग़ुरूर ये है काग़ज़ पे फ़न उतारते हैं

गुस्से से गया शख्स वापिस आ जायेगा, खामोशी से गया शख्स वापिस नहीं आएगा

रूबरू था कोई शख्स आइने में मुझसे, गुस्से में मुझे देखकर वो रोने लग गया

शराफ़त है कि ग़ुस्सा थूक डाला न समझो ये कि तुम से डर गए हम